Latest News: पंचगव्य अब एक सम्पूर्ण चिकित्सा थेरेपी. एम. डी (पंचगव्य) में नामांकन के लिए पंजीकरण आरम्भ. पंजीकरण ऑनलाइन भी किया जा सकता है. नामांकन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराएँ. सभी गुरुकुल विस्तार केन्द्रों में केवल 35 सीटें. 10 महिलाओं का आरक्षित. सभी भारतीय भाषाओं में पंचगव्य चिकित्सा विज्ञान (गऊमाँ के गव्यों) की आधिकारिक पढाई (भारत सरकार, संसदीय बोर्ड द्वारा संचालित). हमारा नारा है - "गौमाँ से असाध्य नहीं कोई रोग" अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाईन पर संपर्क करें 8 9500 95000 अथवा कांचीपुरम विस्तार केंद्र के लिए 9444 96 17 23 या गोषुनेत्री से 94 50 998 998 पर कॉल करें. ग्रीष्मऋतू परीक्षा (कांचीपुरम) 15 अप्रैल 2018 से आरम्भ (विस्तार केंद्र के शिष्यों के लिए परीक्षा की तिथि घोषित.) "एडवांस पंचगव्य थेरेपी" के लिए नामांकन आरम्भ, केवल 25 सीटें. योग्यता-एम.डी.(पंचगव्य), "गर्भ चिकित्सा विज्ञानम"(पंचगव्य) केवल महिलाओं के लिए. नामांकन आरम्भ. योग्यता-एम.डी.(पंचगव्य) mail : gomaata@gmail.com

भारतीय पौराणिक तकनीकी ज्ञान को समर्पित गुरुकुलीय विश्वविद्यालय

आइये ! साथ मिल कर बढ़ें ! आइये ! राष्ट्र निर्माण के इस यज्ञ में सहयोग करें.

पंचगव्य विद्यापीठम एक शिक्षा आन्दोलन है, भारतीय चिकित्सा विधा को भारत में फिर से स्थापित करने के लिए. हमारा नारा है –
1) गोमाता से निरोगी भारत
2) गोमाता से असाध्य नहीं कोई रोग.
लुप्त हो गयी "नाडी और नाभि विज्ञान" को फिर से पुनर्जीवित करने का श्रेय विद्यापीठम को ही जाता है.

आइये ! साथ मिल कर बढ़ें !

आइये ! राष्ट्र निर्माण के इस यज्ञ में सहयोग करें.

आने वाले दिनों में इस परिसर में एक "इनपेशेंट" चिकित्सालय बनाने की योजना पर भी कार्य चल रहा है जहाँ सभी रोगों की चिकित्सा "पंचगव्य" से हो सकेगी.

कुशल सञ्चालन के लिए तमिलनाडु के कांचीपुरम में पंचगव्य विश्वविद्यालय (भारतीय पौराणिक तकनीकी ज्ञान को समर्पित गुरुकुलीय विश्वविद्यालय) का निर्माण कार्य, ग्राम - पुत्तागरम में प्रारंभ हो चुका है. इस विश्वविद्यालय का सपना अमर बलिदानी राजीव भाई दीक्षित ने देखा था जो वर्ष 2020 तक बन कर तैयार होने की संभावना है. जैसी अभी भी चेन्नै स्थित "पंचगव्य विभाग". यहाँ अभी तक लगभग चालीस हजार से अधिक गंभीर रोग वाले मरीजों की चिकित्सा हो चुकी है.

165

Members

1245

Awards

3000

Doctors

40000

Patients

पंचगव्य विद्यापीठम

पंचगव्य विद्यापीठम, पंचगव्य गुरुकुलम समूह के अंतर्गत संचालित स्वतंत्र इकाई है. जिसके अन्तर्गत भारत के सभी जिलों में पंचगव्य चिकित्सा शिक्षा शुरु करने की योजना पर स्वावलंबी रूप से कार्य चल रहा है.

पंचगव्य गुरुकुलम ने वर्ष 2011 में पंचगव्य आधारित चिकित्सा पाठ्यक्रम संशोधित किया था। वर्ष 2013 में पहली बार पंचगव्य को एक स्वतंत्र चिकित्सा थेरेपी के रूप में स्थापित कर पंजीकृत करवाया. आज भारत में लगभग 4000 पंचगव्य डॉक्टर "गव्यसिद्ध" बनाने का श्रेय पंचगव्य गुरुकुलम, पंचगव्य विद्यापीठम समूह को ही जाता है. प्रतिवर्ष विद्यापीठम के अंतर्गत चार सौ से अधिक पंचगव्य डॉक्टर "गव्यसिद्ध" तैयार हो रहे हैं. इन डॉक्टरों को "गव्यसिद्ध डॉक्टर" से संबोधित किया जाता है.

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Testimonials

Dr.Niranjan Verma

सेवारत्न गव्यसिद्धाचार्य

गव्यसिद्धाचार्य

गव्यसिद्धाचार्य

Panchgavya
Natural Therapy (Masters)

Medical is such a vast and widespread field.

Nowadays every surgeon, doctor, nurses and any other related to medical field studies tons of stuff before they actually become a professional, as their profession directly affects the lives of people.

Dr.Rajiv Dixit Ji

गव्यसिद्धाचार्य

Maharshi Ji

गव्यसिद्धाचार्य

  • गव्यसिद्ध Gavyasiddh

    पंचगव्य डॉक्टर

    गव्यसिद्ध

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पंचगव्य डॉक्टर "गव्यसिद्ध"

Meet the Doctor's

इसमें पंचगव्य चिकित्सा विज्ञान से सम्बंधित उच्च शिक्षा जैसे विद्यावारिधि, अंग विशेषज्ञता के पाठ्यक्रम एवं 96 बच्चों के लिए एक गुरूकुलम का निर्माण चल रहा है, जहाँ 8 वर्ष से 12 वर्ष के बच्चों का नामांकन होगा. कुल 10 वर्ष का पाठ्यक्रम होगा. जिसमें 8 पौराणिक विधाओं की शिक्षा से शिष्यों को पारंगत बनाया जायेगा. साथ ही एक स्वावलंबी गोशाला और "ब्रह्म ऊर्जा, विष्णु ऊर्जा एवं शिव ऊर्जा" मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. 24 एकड़ में जैविक (प्राकृतिक) कृषि कार्य हो रहा है, ताकि वहां निवास करने वाले सभी शिष्य, गोसेवक, गोषुयोद्धा एवं आचार्यों को प्राकृतिक परिसर और भोजन मिल सके।

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