500 और 1000 के नोटों का बंद होना देश के लिए एक ऐतिहासिक घटना बन चुका है। मोदी जी की कूटनीति अब राष्ट्रहित नीति बन गयी है। 8 नवम्बर का दिन अब भ्रष्टाचार मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाये और योग दिवस की ही भाँती हमें इसे मनाने में गर्व ही होगा। आजादी के बाद पहली बार लगा मानो कोई निर्णय काले अंग्रेजों ने ना लिया हो बल्कि किसी भारतीय ने लिया हो।
बड़े नोटों को बदलने का देश पर दूरगामी परिणाम होगा। रातों रात कश्मीर के आतंकवाद पर जैसे किसी ने परमाणु बम डाल दिया हो। पाकिस्तान के द्वारा नकली मुद्रा रूपी काले धन से पोषित अलगाववादी ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सर से सींग।हवाला के माध्यम से आने वाला काला धन जो पत्थरबाजों को मिलता था अचानक मिटटी के ढेर में बदल गया और 5 दिन से एक भी पत्थरबाज अब नहीं दिख रहा। आई एस आई की तो जैसे कमर ही टूट गयी है। आई एस आई का पूरा नेटवर्क ही जाली मुद्रा पर टिका था और उसके आकाओं की ठाठ भी उसी पैसे पर टिकी थी। एक ही झटके में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी रूपी लंका धूं धूं करके जल रही है।
मोदीजी ने दिवाली पर चीन की टांग भी मरोड़ी जब पूरे देश ने चीनी सामान विशेषकर उसके पटाखे, बिजली की झालरें, लक्ष्मी गणेश का जमकर विरोध किया तो सरकार का मौन विरोध की अग्नि में घी डालने का काम ही कर रहा था।
जापान एवं अमरीका से प्रगाढ़ होते सम्बन्ध, दक्षिणी चीन सागर में वियतनाम और फिलीपीन्स के साथ मजबूत होते सम्बन्ध चीन की नाक में नकेल कस रहे हैं।
कम ही लोगों को पता होगा की रूस के साथ मिलकर अमरीका के चुनावों में भी मोदी जी खासी घुसपैठ की है। डोनाल्ड ट्रम्प का अमरीकी राष्ट्रपति बनना केवल चुनावी प्रक्रिया नहीं बल्कि भारतीय मूल के लोगों के साथ सोशल नेटवर्किंग कर ट्रम्प को जितवाना भी कुशल कूटनीति का हिस्सा है।
ट्रम्प का अमरीकी राष्ट्रपति बनना भारतीय हितों को लंबे समय तक लाभ पहुचायेगा ऐसी आशा करी जा सकती है।
काले धन पर चोट करके मोदीजी ने ईसाई मिशनरियों की भी रीढ़ तोड़ी है। लव जेहाद जो काले धन से पोषित था भी अब मुश्किल में आजयेगा। क्योंकि ये सब मजहबी दुष्प्रचार केवल विदेशों से आये धन पर ही टिका था।
उत्तर प्रदेश के चुनावों पर इसका ख़ासा असर पड़ने ही वाला है। पूरा देश जानता है कि सभी पार्टियां सिर्फ काले धन पर चुनावों का खेल खेलती हैं। एक एक सीट करोड़ों में बिकती है पर अब सीटें कैसे बिकेंगी। अब प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए भी सोचना होगा। अभी तक चुनाव यानी काली कमाई का कुछ निवेश और फिर कई गुना पैसा वसूलो। लेकिन अब ना तो सीट बिक पाएगी , और अगर कुछ कमाई ही नहीं होगी तो भ्रष्ट उम्मीदवार जीत कर फ्री में जनता की सेवा करके करेंगे क्या?? बिना कमाई अगर जनता की सेवा करके सर ही फोड़ना है तो ऐसे ही अच्छे हैं। शायद अब काम करने वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ें और देश में सकारात्मक काम हो।
प्रॉपर्टी और सोने का भी अब बुरा हाल होने वाला है। अब प्रॉपर्टी उन लोगों को ही अच्छी लगेगी जिन्हें वास्तव में अपना आशियाना बनाना है। काली कमाई वालों ने प्रॉपर्टी के भाव इतने ऊंचे किये हुए थे की वास्तविक ग्राहक की हैसियत से ही बाहर थे।
सोने में अब वो ही लोग पैसा डालेंगे जिन्हें वास्तव में इसे पहनना है यानी महिलाएं अब अपने सृंगार के लिये इसे खरीदेंगी। क्योंकि इसे लेना और बेचना आसान नहीं रहेगा , अपना पैन कार्ड दिखाकर ही इसे बेचा और ख़रीदा जायेगा। तो चोर चोरी करके क्या करेगा। काला धन नहीं लगेगा तो सोने का दाम भी औंधे मुंह गिरेगा। शायद अब ये बैंक लॉकर का नहीं महिलाओं का वास्तविक श्रृंगार ही बढ़ाएगा।
शायद अब पैसा विलासिता ना बढ़ा कर वास्तविक खुशहाली की ओर हमें ले जायेगा।
लेकिन ये सोच कर हमें गर्व में चूर नहीं होना ये तो मात्र शुरुआत है। स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी के सपनों का भारत , हमारी खुशहाली वाला भारत, विश्वगुरु वाला भारत अभी कोसों दूर है फिर भी आशा की किरण मोदी की रणनीति में दिखती तो है।
– गव्यसिद्ध डॉ. विशाल गुप्ता
प्रभारी – पंचगव्य गुरूकुलम विस्तार