स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता स्वर्गीय राजीव भाई दीक्षित जी के दिखाये मार्ग पर थोड़ा ही सही किन्तु वर्तमान सरकार मोदी जी के नेतृत्व में कुछ सकारात्मक कार्य कर रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भ्रष्टाचार के कैंसर से बिलख रहा था। राजीव भाई ने 90 के दशक में ही उसके पीछे छिपे कारणों को खोज लिया था। राजीव भाई सदैव ही किसी भी समस्या का विश्लेषण बिलकुल उसकी जड़ में जाकर करते थे और उनका मानना था अगर समस्या समझ आ जाये तो समाधान तो बहुत सरल होता है। किंतु आजकल हम समस्या को ही नहीं समझ पाते इसलिए समाधान नहीं निकलता। राजीव भाई भ्रस्टाचार के दो स्वरुप देखते थे पहला है बाह्य और दूसरा आंतरिक। राजीव भाई कई वर्ष पहले ही बता दिया था कि अगर भारत 500 और 1000 के नोट बंद कर देता है तो देश के गद्दारों ने छुपाया काला धन एक रात में ही मिटटी हो जायेगा। और भ्रष्टाचार की नकेल भी एक रात में ही कसी जा सकती है। आज पहली बार मोदी सरकार ने भ्रस्टाचार के विरुद्ध राजीव भाई द्वारा मार्ग पर चलकर देश की जनता में एक अच्छा सकारात्मक संदेश दिया है। आज देश की जनता परेशानी झेलते हुए भी प्रसन्न नजर आ रही है। और सभी एकमत से कह रहे हैं कि अगर लंबी लाइन में लगकर कुछ घंटे परेशान होकर भी भ्रष्ट लोगों की नींदे उड़ रही हैं तो हम ये कष्ट ख़ुशी से झेलने को तैयार हैं।
बैंकों के बाहर लंबी लंबी कतारें लगी हैं , नगदी की कमी से बैंक जूझ रहे हैं, दैनिक सामान खरीदने को लोगों के पास पैसे नहीं हैं, बहुत से घरों में चूल्हा भी नहीं जल रहा है किंतु पूरे देश में कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटी, अराजकता का माहौल नहीं है। आम भारतीय कष्ट झेलते हुए भी खुश है।
बस एक कौम बौखलायी हुई है और वो है भृष्ट लोगों की, भ्रष्ट नेताओं की, भ्रष्ट व्यापारियों की, आतंकवादियों की , नक्सलियों की, भ्रष्ट अफसरों की।
देश के लिए आम जनता का इतना सहयोग स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के समय मिला था जब उन्होंने ना खाने योग्य लाल अमरीकी गेहूं के विरुद्ध सोमवार का उपवास रखने की अपील की थी। जनके एक आग्रह पर देश की जनता ने बिना परेशां हुए सोमवार का उपवास शास्त्री जी के साथ लेने का संकल्प लिया था। लगभग वैसा ही सहयोग आज की जनता परेशानी झेलते हुए भी कर रही है।
हालाँकि भ्रष्टाचार का कैंसर बहुत पुराना है और ये कदम अभी शुरुआत भर ही है पर अच्छी है।किन्तु सरकार को ईमानदार लोगों का विशेष ध्यान भी रखना होगा की कहीं भ्रष्ट लोगों के चक्कर में उनका उत्पीड़ण न हो। भारत का बहुत बड़ा व्यापारी वर्ग हमेशा से देश और समाज के लिए निष्ठां से अपना सहयोग करता आया है। किंतु कुछ गंदे लोगों ने पूरे समाज को ही संशय में ला दिया है।
राजीव भाई तो कहते थे काला धन गोरा धन असल में अंग्रेजों का बिछाया मकड़ जाल है। हमें तो इस काले धन की भारतीय परिभाषा गढ़नी चाहिए। अंग्रेज कहते थे अगर उनका मनचाहा लगान भारतीय नहीं दें वो सब काला धन है। और यही व्यवस्था आजादी के बाद भी चली आ रही है अगर सरकार को उनका मनचाहा कर नहीं मिला तो वो कितनी मेहनत से कमाया गया हो वो धन काला है।जबकि भारतीय व्यापारी कहते हैं कि हमारी मेहनत की कमाई किसी कुपात्र जैसे भ्रष्ट सरकारें, को ना देकर हम स्वयं समाज हित में लगाएंगे।
किन्तु आज समय आ गया है कि राजीव भाई द्वारा बताई ऋषि मुनियों द्वारा बताई व्यवस्था अनुसार हमें काले धन को नए परिपेक्ष में परिभाषित करना होगा। जैसे कोई मिलावट करके सामान बेचे तो वो कमाई काली है, कोई शराब, मांस आदि बेचकर कमाई करे तो वो कमाई काली है,कोई कंपनी सेतु बनाने में घटिया सामग्री प्रयोग करे तो उसकी कमाई काली है, कोई व्यक्ति रिश्वत लेकर काम करे तो उसकी कमाई काली है आदि आदि। इस प्रकार हम जीवन के हर क्षेत्र में काली और गोरी कमाई का निर्धारण कर सकते हैं ना की वर्तमान स्वरूप में की एक व्यापारी नकली सामान बेचकर कुछ इकठ्ठा करे और ईमानदार व्यक्ति उतना ही इकठ्ठा करे तो दोनों की कमाई काली या गोरी हो इसका पैमाना एक नहीं हो सकता।
हम समाज से बुरे कामों को दूर करने के लिए भी उनपर अधिक कर लगा सकते हैं और अच्छे कामों पर न्यूनतम कर लगा कर उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं।
राजीव भाई तो देश से वर्तमान कर व्यवस्था को ही समाप्त करने की वकालत करते थे और उनका मानना था कि ये अंग्रेजी कर व्यवस्था ही मूल रूप से लोगों को बेईमान बनाती है। अगर इस कर व्यवस्था को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाए तो देश से भ्रस्टाचार ही समाप्त हो जायेगा। जबकि इसके स्थान पर केवल ट्रांसेक्शन कर हो । जब भी कोई लेन देन हो केवल उसपर निर्धारित कर हो और देश में व्याप्त हजारों करों को पूर्ण समाप्त किया जाये।
अगर 500- 1000 के नोट बदलने के साथ साथ वर्तमान सरकार कर प्रणाली में राजीव भाई के बताये मार्ग पर चलतीं है तो ये देश की काया पलटकर देश को वास्तविक अर्थ क्रांति लाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
और देश इस मार्ग पर चलकर विश्व गुरु बन सकता है।
– गव्यसिद्ध डॉ. विशाल गुप्ता
प्रभारी – पंचगव्य गुरूकुलम विस्तार