क्या वास्तव में ये छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और चाणक्य का भारत है या अंग्रेजों के पिठ्ठू और दबे-कुचले इंडियंस का देश है ?
अंग्रेजों से आजादी के बाद, अंग्रेजों ने अपनी सत्ता को सांवले भारतीयों को हस्तांतरित कर दिया। और छद्म रूप से भारत में बिना रहे वो सत्ता को अपनी भूमि से ही चला रहे हैं। क्योंकि उनके द्वारा बनाये शोषण करने वाले काले कानून अभी भी वही हैं। लगभग सत्तर साल कांग्रेस ने राज किया अब वह सत्ता हस्तांतरित होकर तथाकथित राष्ट्रवादियों अर्थात भाजपा के पास आ गयी है। अपने को प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री ने राजसत्ता में अपने समस्त विरोधियों को अपना छप्पन इंच का सीना दिखाकर लगभग हर राज्य और चुनावों में धराशाई कर दिया।
भ्रष्टाचार, विकास और हिंदुत्व की दुहाई देकर वो सत्ता पर पूर्ण बहुमत से काबिज हो गए।
लेकिन भ्रष्टाचारियों को अपने लाभ के चलते कभी जेल की सलाखों के पीछे नहीं किया। कांग्रेस शासन में इनकी पार्टी ने लगभग हर महीने एक भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया, जिनमें प्रमुख है – कामनवेल्थ खेल घोटाला, कांग्रेसी दामाद रॉबर्ट वाड्रा का भूमि घोटाला, चारा घोटाला, हर राज्य में सत्तासीन राज्यों की सरकारों का घोटाला, लेकिन अभी तक किसी बड़े घोटाले के आरोपी को सख्त सजा नहीं हुई, उल्टे वो एकदम खुल्ले घूम रहे हैं।
लेकिन जब भी इन्हें सत्ता पर कब्जा या अपनी सत्ता बचानी होती है ये सीबीआई की चाभी घुमाकर अपने विरोधियों को बिना सजा दिए दबा देते हैं।
विकास के नाम पर बड़ी – बड़ी देसी – विदेशी कंपनियों के लिए ये संचार और सड़क का जबरदस्त विकास कर रहे हैं। जितनी सड़कें पिछले चार साल में बनी हैं उतनी सत्तर सालों में नही बनी। किन्तु आम जनता सोचती है ये सड़क उनके लिए बन रही हैं जबकि भोली – भाली जनता को पता ही नही है कि उनकी सड़क को थोड़ा चौड़ा करके उस पर कर (टैक्स) लगा दिया है। यानी अब सड़क पर निशुल्क चलने के बजाए उन्हें पैसे देकर सरकार को लगान देना होगा। ये सड़कें वास्तव में आम व्यक्ति के लिए नही बल्कि बड़ी – बड़ी मोटर वाहन कंपनियों के लिए बनाई जा रही हैं। जिससे व्यक्ति निशुल्क बैल या घोड़ा गाड़ी छोड़कर, पहले गाड़ी खरीदने पर टैक्स देगा फिर उसमें डलने वाले डीजल – पेट्रोल पर टैक्स देगा, फिर सड़क उपयोग के लिए टोल टैक्स देगा।
डिजिटल इंडिया के माध्यम से भारत की 130 करोड़ वाली जनसंख्या को देसी – विदेसी कंपनियों को अपने उत्पाद दिखाकर बेचने के लिए सस्ती और असीमित मोबाइल सेवा थमाकर उसका शोषण किया जा रहा है। आज डिजिटल इंडिया के माध्यम से कुछ गिने चुने गरीबों ने अपना सामान अवश्य बेचा है, किंतु उससे कई गुना बड़ी संख्या ने बड़ी कंपनियों के गैर जरूरति सामान खरीदकर इन कंपनियों की जेब भरी है।
उदाहरण के रूप में कुछ गिने चुने गरीब और हस्त कला में माहिर लोगों का सामान डिजिटल इंडिया से बिका लेकिन उससे कई गुना बड़ी जनसंख्या ने अपना पारंपरिक और गैर – जरूरति भोजन छोड़कर वो पिज़्ज़ा, कोल्ड – ड्रिंक और मैगी के शिकार बनकर अपना कीमती धन और स्वास्थ्य लुटाकर और गरीब हो रहे हैं।
पाकिस्तान पर एक सर्जिकल स्ट्राइक और कुछ छिट – पुट हमले करके प्रधान सेवक हिंदुत्व के बड़े दिग्गज के सिंघासन पर विराजमान हो जाते हैं पर जब चीन और अमरीका की बारी आती है तो ये भीगी बिल्ली की तरह मिमियाते और दोस्ती का हाथ बढ़ाते नजर आते हैं।
डोकलाम विवाद के बाद चीन जब चाहता है इन्हें हड़काता है फिर जब मन करता है इन्हें पुचकारता है। जबकि देश में एकदम उलट दिखाया और माहौल बनाया जाता है कि इन्होंने चीन को डोकलाम विवाद में झुकाया। अगर झुकाया होता तो चीन डोकलाम छोड़कर भागता। बल्कि आज वो डोकलाम में अड़कर और अधिक खुरापात में लगातार लगा हुआ है।
इतना कुछ होने के बाद, डोकलाम छोड़े बगैर वो इन्हें अपने देश बुलाकर अपने देश के हितों की कुछ काना – फूसि करके इन्हें खुश कर देता है और इनकी कायरता पर धौंस दिखाते हुए आज अरुणाचल सीमा में खदानों की खुदाई करके अपना दुस्साहस दिखाता है।
यहां तक कि स्वार्थी अमरीका को अपना परम हितैषी बनाकर भी इन्होंने मुँह की ही खाई है। आज अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा हेतु अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने विश्व व्यापार संगठन को भी धता बताकर चीन और भारत के उत्पादों पर सीमा से अधिक आयात शुल्क को बढ़ाकर भारत और चीन के व्यापार को ध्वस्त करने का प्रयास किया है। चीन ने अमरीका को उन्हीं की भाषा में ज्यादा उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाकर उसकी अकल ठिकाने लगाई है किंतु छप्पन इंच वाले प्रधानसेवक का भारत विश्व व्यापार संगठन में अमरीकी कार्यवाही को लेकर मिमिया रहा है।
क्या वास्तव में ये छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और चाणक्य का भारत है या अंग्रेजों के पिठ्ठू और दबे-कुचले इंडियंस का देश है ?
भारतीयों के भावनाओ के साथ बहुत ही चालाकी के साथ खेला जा रहा है । भारतीय जनता के पास विकल्प ही क्या है। उसको तो विज्ञापन के माध्यम से मानसिक रूप से गुलाम बना दिया गया है।
Sahi Kaha Aapne.