प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पूरी ताकत इस बात के लिए झोंक दी है कि भारत में सौ नए शहर बनाकर ही छोड़ेंगे। नए शहर यानि ई-शहर। स्वप्न वैâसे – शहर साफ सुथरा है, ‘ई’ सुविधाये है, जिंदगी आसान और सुखमय है। इसी प्रकार की और कई सुविधाएं।
प्रधान नरेन्द्र मोदी ने १०० नए ‘स्मार्ट-सिटी’ विकसित करने के साथ-साथ ५०० पुराने शहरों का भी ‘अटल मिशन’ के तहत काया-कल्प करने की इन दो परियोजनाओं तथा ‘२०२२ तक सभी के लिये घर’ के एन डी ए सरकार की इन परियोजनाओ की शुरूआत है। १) अटल मिशन् के तहत इन पुरने शहरों की परंपरागत सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ उन्हें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जायेगा। वाराणसी, बोधगया, अजमेर, कांचीपुरम और अमृतसर जैसे कई सांस्कृतिक और आध्यत्मिक महत्व वाले शहरों का भी कायाकल्प कर उन्हे ‘स्मार्ट’ बनाए जाने की योजना है। इन शहरी विकास योजनाओं की विशेषता यह है कि इन से राज्यों को सक्रियता से जोड़ा जायेगा।
अमरीका, इंग़लेंड, फ्रांस, जर्मनी, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, कोरिया सहित १४ देशों और विश्व बैंक, एशियायी विकास बैंक, योरोपी्य यूनियन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनो ने इन स्मार्ट शहरों के विकास मे भागीदारी की इच्छा जाहिर की है। राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश ने इस संबंध मे अमरीका से करार भी करा चु्के है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वैकैया नायडू के अनुसार प्रत्येक राज्य मे कम से कम एक स्मार्ट सिटी सरकार विकसित करेगी, सुत्रों के अनुसार बड़े राज्यों में दस तक स्मार्ट सिटी तक बनाये जाने की योजना है। श्री नायडू के अनुसार स्मार्ट सिटी तथा अटल मिशन के लिये राज्यों को यह अधिकर दिया गया कि वे बतायें कि इस बारे में उनकी प्राथमिकतायें क्या है, ताकि उसके अनुरूप उनके सुझाव लिया जा सके। चालीस लाख तक की आबादी वाले शहर स्मार्ट सिटी के लिए पहली पसंद हैं, जबकि इससे बड़े शहरों के साथ सैटेलाइट शहरों को स्मार्ट बनाने की योजना है। वास्तुकारों का भी मत है कि बड़े शहरों पर जनसंख्या का भार कम करने और छोटे शहरों को पहली कतार में आगे लाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की स्मार्ट सिटी परियोजना एक आदर्श विकल्प है। श्री नायडू के अनुसार विदेशी सरकारों और संस्थाओं में इन योजनाओ को लेकर बहुत दिलचस्पी देखने को मिल रही है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के मसौदे के अनुसार.स्मार्ट सिटी कैसी हो, उसकी एक झलक: देश के सौ स्मार्ट शहरों में २४ घंटे बिजली और पानी की उपलब्धता। ऐसा ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाए जाने की योजना है, जिससे ३० से ४५ मिनट में शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक की दूरी तय की जा सके। हर घर से अधिकतम ८०० मीटर की दूरी पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध हो। इन शहरों में स्मार्ट हेल्थकेयर सेवाओं और सरकारी कार्यों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम उपलब्ध हो। स्मार्ट सीवेज-कूड़ा निस्तारण प्रणाली का इंतजाम। सरकारी कामकाज को पारदर्शी रखने की योजना है ताकी निवेशकों में भरोसा जगे और व्यापार और रोज़ग़ार के मौके बढ़े। स्मार्ट शहरों में स्मार्ट शिक्षा का प्रबंध आईटी नेटवर्क से जुड़े इन शहरों में जनप्रबंधन के लिए ज्यादा से ज्यादा तकनीक के प्रयोग की योजना है।
राज्य सरकारों ने इस परियोजना की रिपोर्ट बनाने के लिए केंद्र से तकनीकी मदद और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए वित्तीय सहायता मांगी है। राज्यों का मत है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए मूल निवेश सरकार करे और उसे सुचारू ढंग से चलाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप के विकल्पों को तलाशा जाए। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने राज्यों के सुझावों पर विचार के लिए अधिकारियों को ज़रूरी निर्देश दिए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा है कि भारत अपने यहां स्मार्ट सिटी, औद्योगिक गलियारों व रेलवे के विकास के साथ मेक-इन-इंडिया और स्किल इंडिया अभियान में एशियाई विकास बैंक की गहरी भागीदारी चाहता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस कदम से न केवल देश में अनेक शहरों की तस्वीर पूरी तरह से संवर जाएगी, बल्कि देशवासियों को भी बिल्कुल नई तरह के शहरों में जीवन का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जहां एक ओर परंपरागत पुराने शहरों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, वहीं इन शहरों के निकट ही स्मार्ट सिटी नाम से उपनगर विकसित किए जाएंगे। दूसरे शब्दों में, स्मार्ट सिटी दो तरह से बसाई जाएंगी। पहला, कुछ पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी में बदला जाएगा। दूसरा, पूरी तरह नए शहर बसाए जाएंगे, जो स्मार्ट सिटी के रूप में उभर कर सामने आएंगे।
केन्द्र सरकार की ओर से शहरी विकास पर तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने को अपनी स्वीककृति दी है। कैबिनेट ने ‘स्माकर्ट सिटी मिशन’ और ‘५०० शहरों के कायाकल्प एवं शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमृत)’ को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं पर क्रमश: ४८,००० करोड़ रुपये व ५०,००० करोड़ रुपये का खर्च आएगा। ऐसी उम्मीद हैं कि स्मार्ट सिटी के रूप में इस साल २० शहरों और अगले दो वर्षों के दौरान ४०-४० शहरों का चयन किया जाएगा।
ऊपर जो कुछ भी आपने पढ़ा यह तो सरकार का सपना है। जिसे करने के लिए मोदीजी ने कमर कसा है। इसमें से क्या कुछ निकलकर आएगा यह तो आने वाला समय ही बतलाएगा। फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि इसमें गांवों की बदहाली को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है। यहां तक की ई-गांव बनाने के मॉडल भी नहीं हैं। ऐसे में हम वैâसे कहें कि भारत गावों का देश है ? भारत कृषि प्रधान देश है ? भारत संस्कृति प्रधान देश है ? क्यों कि ये तीनों गुण तो भारत के गांवों में है। शहर तो नरक है और नरक ही रहने वाला है।.