शिक्षा को लेकर अब तक कोई नीति भी नहीं बनी है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में दसवीं का रिजल्ट आते ही 12 बच्चों ने जीवन समाप्त कर लिया। किसी का दिल नहीं दहला क्या? मीडिया चैनलों के लिए यह बड़ा विषय नहीं था. इसलिए राष्ट्रीय न्यूज भी नहीं बन पायी। सोशल मीडिया पर भी विषय नहीं बना. क्या इसलिए की आत्महत्या बच्चों ने की ? किसानों की आत्महत्या होती तो देखते तमाशा. वामपंथी और टाईधारी दोनों को लगता जैसे उन पर ही बादल टूट कर गिरा है.
अभी भी बच्चों की मौत पर मौन रहने वालों पर तरस ही खाया जा सकता है। सीबीएसई के रिजल्ट आउट होने के साथ ही हर वर्ष इस प्रकार का डरावना समय आता है. नम्बर ज्यादा, परसेंट ज्यादा, नम्बर वन की लालसा रातों की नींद उड़ा देती है। कई बार छात्र नींद न आने वाली दवाइयां लेने के आदि हो जाते हैं। कुछ छात्र पढ़ाई के डर से ही नींद खो देते हैं। कुछ को डरावने सपने आते हैं. नींद में बड़बड़ाने या चौंक कर उठने की समस्या आती है.
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jai gaumata jai gopaal
Hariom