रात्री में दूध को दही बनने के लिए रखना सर्वश्रेष्ठ होता है ताकि दही एवं उससे बना मट्ठा, तक्र एवं छाछ सुबह सही समय पर मिल सके|
गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|
मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|
अगर शरीर में पित्त बढ़ा हुआ है तो गौमूत्र पानी के साथ लें अथवा बिना पानी के लें|
गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|
अमावस्या एवं एकादशी तिथि तथा सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण वाले दिन गौमूत्र का सेवन एवं एकत्रीकरण दोनों वर्जित है|
सृष्टि के निर्माण में जो 32 मूल तत्व घटक के रूप में है वे सारे के सारे गाय के शरीर में विध्यमान है| अतः गाय की परिक्रमा करना अर्थात पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना है| गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु एंटी-वाइरस है| गाय द्वारा छोड़ी गयी श्वास से सभी अदृश्य एवं हानिकारक बैक्टेरिया मर जाते है| गाय के शरीर से सतत एक दैवीय ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य शरीर के लिए बहुत लाभकारी है| यही कारण है कि गाय की परिक्रमा करने को अति शुभ माना गया है|
गाय के कूबड़ में ब्रह्मा का निवास है| ब्रह्मा अर्थात सृष्टि के निर्माता| कूबड़ हमारी आकाश गंगा से उन सभी ऊर्जाओं को ग्रहण करती है जिनसे इस सृष्टि का निर्माण हुआ है| और इस ऊर्जा को अपने पेट में संग्रहीत भोजन के साथ मिलाकर भोजन को ऊर्जावान कर देती है| उसी भोजन का पचा हुआ अंश जिससे गोबर, गौमूत्र और दूध गव्य के रूप में बाहर निकलता है वह अमृत होता है|
हरी घास, अनाज के पौधे के सूखे तने, सप्ताह में कम से कम एक बार 100 ग्राम देसी गुड़ , सप्ताह में कम से कम एक बार 50 ग्राम सेंधा या काला नमक, दाल के छिलके, कुछ पेड़ के पत्ते जो गाय स्वयं जानती है की उसके खाने के लिए सही है, गाय को गुड़ एवं रोटी अत्यंत प्रिय है|
देसी गाय जहरीले पौधे स्वयं नहीं खाती है| गाय को बासी एवं जूठा भोजन, सड़े हुए फल नहीं देना चाहिए| गाय को रात्रि में चारा या अन्य भोजन नहीं देना चाहिए| गाय को साबुत अनाज नहीं देना चाहिए हमेशा अनाज का दलिया करके ही देना चाहिए|
गौमाता की पूजा करने की विधि सभी जगह भिन्न-भिन्न है और इसके बारे में कहीं भी आसानी से जाना जा सकता है| लक्ष्मी, धन, वैभव आदि कि प्राप्ति के लिए गाय के शरीर के उस भाग कि पूजा की जाती है जहां से गोबर एवं गौमूत्र प्राप्त होता है| क्योंकि वेदों में कहा गया है की “गोमय वसते लक्ष्मी” अर्थात गोबर में लक्ष्मी का वास है और “गौमूत्र धन्वन्तरी” अर्थात गौमूत्र में भगवान धन्वन्तरी का निवास है|
नहीं, गाय दिन में ही अपनी आवश्यकता के अनुरूप भोजन कर लेती है| रात्रि में उसे भोजन देना स्वास्थ्य के अनुसार ठीक नहीं है|
सर्वप्रथमड दूध को छान लेना चाहिए, इसके बाद दूध को मिट्टी की हांडी, लोहे के बर्तन या स्टील के बर्तन (ध्यान रखे की दूध को कभी भी तांबे या बिना कलाई वाले पीतल के बर्तन में गरम नहीं करें) में धीमी आंच पर गरम करना चाहिए| धीमी आंच गोबर के कंडे का हो तो बहुत ही अच्छा है| पाँच-छः घंटे तक दूध गरम होने के बाद गुन-गुना रहने पर 1 से 2 प्रतिशत छाछ या दही मिला देना चाहिए| दूध से दही जम जाने के बाद सूर्योदय के पहले दही को मथ देना चाहिए| दही मथने के बाद उसमें स्वतः मक्खन ऊपर आ जाता है| इस मक्खन को निकाल कर धीमी आंच पर पकाने से शुद्ध घी बनता है| बचे हुए मक्खन रहित दही में बिना पानी मिलाये मथने पर मट्ठा बनता है| चार गुना पानी मिलने पर तक्र बनता है और दो गुना पानी मिलने पर छाछ बनता है|
गाय का दूध प्राणप्रद, रक्तपित्तनाशक, पौष्टिक और रसायन है| उनमें भी काली गाय का दूध त्रिदोषनाशक, परमशक्तिवर्धक और सर्वोत्तम होता है| गाय अन्य पशुओं की अपेक्षा सत्वगुणयुक्त है और दैवी-शक्ति का केंद्रस्थान है| दैवी-शक्ति के योग से गोदुग्ध में सात्विक बल होता है| शरीर आदि की पुष्टि के साथ भोजन का पाचन भी विधिवत अर्थात सही तरीके से हो जाता है| यह कभी रोग नहीं उत्पन्न होने देता है| आयुर्वेद में विभिन्न रंग वाली गायों के दूध आदि का पृथक-पृथक गुण बताया गया है| गाय के दूध को सर्वथा छान कर ही पीना चाहिए, क्योंकि गाय के स्तन से दूध निकालते समय स्तनों पर रोम होने के कारण दुहने में घर्षण से प्रायः रोम टूट कर दूध में गिर जाते हैं| गाय के रोम के पेट में जाने पर बड़ा पाप होता है| आयुर्वेद के अनुसार किसी भी पशु का बाल पेट में चले जाने से हानि ही होती है| गाय के रोम से तो राजयक्ष्मा आदि रोग भी संभव हो सकते हैं इसलिए गाय का दूध छानकर ही पीना चाहिए| वास्तव में दूध इस मृत्युलोक का अमृत ही है|“अमृतं क्षीरभोजनम्”
दही में शीतलता है साथ में अग्नि भी है. इसलिए यह बच्चो के लिए अच्छा है. दही दाल के साथ नहीं खाना चाहिए.
छाछ में शीतलता है साथ में भरपूर मात्र में कैल्सियम भी है. यह किसी भी उम्र में ली जा सकती है. इसका सेवन वर्षा ऋतु और दोपहर के बाद में वर्जित है. लेकिन दक्सिन भारत में वर्ष भर और रात्रि में भी लिया जा सकता है.
श्रीखंड में मुख्यरूप से जलरहित दही, जायफल एवं देसी मिश्री होते है| जायफल कुपित हुए कफ को संतुलित करता है एवं मस्तिष्क को शीत एवं ताप दोनों से बचाता है| चूंकि श्रीखंड में जायफल के साथ जलरहित दही की घुटाई होती है इसलिए इस प्रक्रिया में जायफल का गुण 20 गुना बढ़ जाता है| इस कारण श्रीखंड मेघाशक्ति को बढ़ाता है, कफ को संतुलित रखता है एवं मस्तिष्क को शीत एवं ताप दोनों से बचाता है| अत्यधिक शीत ऋतु, अत्यधित वर्षा ऋतु में श्रीखंड का सेवन वर्जित माना गया है| ग्रीष्म ऋतु में श्रीखंड का सेवन मस्तिष्क के लिए अमृततुल्य है| श्रीखंड निर्माण के बाद 6 घंटे के अंदर सेवन कर लिया जाना चाहिए| फ्रीज़ में रखे श्रीखंड का सेवन करने से उसके गुण-धर्म बदल कर हानी उत्पन्न कर सकते है अर्थात इसे सामान्य तापमान पर रख कर ताज़ा ही सेवन करें|
गोबर अद्भुत वात नासक है.
मिट्टी, शीशा, लोहा या मजबूरी में स्टील|
गाय और बैल के सिंग को ऑइलपेंट और किसी भी तरह कि सजावट इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि सिंग चंद्रमा से आने वाली ऊर्जा को अवशोषित करते शरीर को देते है| अगर इसे पेंट कर दिया जाए तो वह प्रक्रिया बाधित होती है|
हीं, फिर उसे केवल कृषि कार्य के उपयोग में ले सकते है|
भिन्न-भिन्न नस्लें अपनी-अपनी जगह के वातावरण के अनुरूप बनी है अगर हम उन्हे दूसरे वातावरण में ले जा कर रखेंगे तो उन्हें भिन्न वातावरण में रहने पर परेशानी होती है जिसका असर गाय के शरीर एवं गव्यों दोनों पर पड़ता है| और आठ से दस पीड़ियों के बाद वह नस्ल बदल कर स्थानीय भी हो जाती है| अतः यह प्रयोग नहीं करना चाहिए|
हाँ, चंद्रमा अर्क सूर्योदय से पहले चंद्रमा की शीतलता में बनाया जाता है|
एक लीटर घी बनाने में तीस लीटर दूध की खपत होती है जिसका मूल्य कम से कम 30 रु. लीटर के हिसाब से 900 रुपये केवल दूध का होता है| और इसे बनाने में मेहनत आदि को जोड़ दिया जाये तब घी का न्यूनतम मूल्य 1200 रुपये प्रति लीटर होता है|
हल्के गुन-गुने दूध में नींबू निचोड़ कर दही जमाया जा सकता है| इमली डाल कर भी दही जमाया जाता है| गुड़ की सहायता से भी दही जमाया जाता है| शुद्ध चाँदी के सिक्के को गुन-गुने दूध में डालकर भी दही जमाया जा सकता है|
गौमाता एवं विदेशी काऊ में अंतर पहचानना बहुत ही सरल है| सबसे पहला अंतर होता है गौमाता का कंधा (अर्थात गौमाता की पीठ पर ऊपर की और उठा हुआ कुबड़ जिसमें सूर्यकेतु नाड़ी होती है), विदेशी काऊ में यह नहीं होता है एवं उसकी पीठ सपाट होती है| दूसरा अंतर होता है गौमाता के गले के नीचे की त्वचा जो बहुत ही झूलती हुई होती है जबकि विदेशी काऊ के गले के नीचे की त्वचा झूलती हुई ना होकर सामान्य एवं कसीली होती है| तीसरा अंतर होता है गौमाता के सिंग जो कि सामान्य से लेकर काफी बड़े आकार के होते है जबकि विदेशी काऊ के सिंग होते ही नहीं है या फिर बहुत छोटे होते है| चौथा अंतर होता है गौमाता कि त्वचा का अर्थात गौमाता कि त्वचा फैली हुई, ढीली एवं अतिसंवेदनशील होती है जबकि विदेशी काऊ की त्वचा काफी संकुचित एवं कम संवेदनशील होती है|
गाय ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण की सीधी प्रतिनिधि है| इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ है ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे| पृथ्वी पर जितनी भी योनियाँ है सबका पालन-पोषण होता रहे| इसे विस्तृत में समझने के लिए ऋगवेद के 28वें अध्याय को पढ़ा जा सकता है|
I want to know about the course, I am not suffering from any disease but for social cause I want to go through it.
Thanks
ठीक है ।
Gavyashidhashidha Aapne nam ke shatha Dr likhasakte he??? 🙏🏻🙏🏻
नहीं
I am farmer. Ram krishna hari
धन्यवाद
I am interested in Nadi Pariksha.
also my wife is pregnant. according to the doctor, she will deliver baby in next month 15 to 23 March. so i want some help related her delivery and dos and dont related to baby care.
ok
call 9444 96 17 23
Bihar mein panchgavya katha kab aayojit hogi.
Pata nahi
गुरु जी ।मेरे पास ३०० गाय है।जो की मैंने मुसलमानों द्वारा अवैध transport होने से बचाई है। मैं भी गौ सेबा के लिए गौशाला खोलना चाहता हूँ।लेकिन ।गौशाला का खर्चा कैसे चलेगा। आप उसके लिए कोई सुझाव दे।और गोबर और गौ मूत्र को कौन खरीदे गा।मेरा मतलब कहा सपलाई करेगे।कृपया आप मुझे पूरी जानकारी दे। मेरा नं.7706097651 है।
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