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“गव्योत्तक” नाम से एक नया अध्याय शुरू किया गया है।
इस विषय को जानने के बाद मनुष्य शरीर की विकृतियों को आसानी से समझा जा सकता है. किसी भी रोग को समझना ओर उसकी चिकित्सा करना आसान है। यह विद्या नालंदा ओर तक्षशिला में पढाई जाती थी. मुगलों द्वारा इन दोनों विश्व विद्यालयों को जलाने से पहले यह विद्या चीन ओर जापान चला गया था। जहाँ यह अपने रूप में बचा रहा. इस विद्या को अंगरेज तोड़ मरोड़ नहीं कर पाये। पंचगव्य गुरुकुलम ने इसे फिर से पाठ्यक्रम में जोड़ा है. इस विषय को डिप्लोमा एवं मास्टर डिप्लोमा दोनों मे पढ़ाई जा रही है. इसमें बिमारियों के कारण बाहरी अंगों में आई हुई परिवर्तन को पढ़ा जाता है. किस अंग की औषध किस समय देनी चाहिए ताकि उसका प्रभाव उसी अंग पर जयादा पड़े. इस पर गंभीरता के साथ कार्य किया जाता है. इस विधा से चिकित्सा करने पर न तो जयादा औषध की जरुरत पड़ती है और न ही दुष्परिणाम का डर रहता है.
मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान की जाँच प्रक्रिया की समझ, पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है.
जयादातर रोगी पहले कराई गयी चिकित्सा के दस्तावेज साथ ले कर आते हैं. जिसे समझाने मात्र की जरुरत पड़ती है. इसलिए मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान की जाँच प्रक्रिया को भी समझना जरुरी है. खास कर क्रोनीकल बिमारियों में. जिसमें खासकर छोटे उपकरणों की प्रक्रिया पढाई जाती है. जैसे थर्मामीटर, ओस्थियेतोस्कोप, ब्लडप्रेशर जाँच मशीन आदि.
परिमितीय चिकित्सा के नाम से एक नया विषय जोड़ा गया है.
जिसमें खासकर भारत के भूले भटके थेरेपियों की जानकारी दी जाती है. जैसे मुद्रा विज्ञान चिकित्सा, फूलों से चिकित्सा, रसोईघर के ४८ औषधियों से चिकित्सा, झाड़-फूंक से मानसिक रोगों की चिकित्सा, बाडी में उगने वाली छोटी वनस्पतियों से चिकित्सा. होमियोपैथी की कुछ जरुरी औषधियां, ऋषि घाघ-भड्डरी के नुस्खे आदि.
उत्तम गर्भधान एवं आसान प्रसव प्रक्रिया पाठ्यक्रम में जोड़ी गयी
उत्तम गर्भधान किस प्रकार किया जाये जिससे जन्मजात महापुरुष, क्रान्तिकारी, युगपरिवर्तक और वैज्ञानिक आदि पैदा ले सकें. इस विज्ञान को आज का भारत भूलता जा रहा है. अतः इस उत्तम गर्भधान प्रक्रिया को पाठ्यक्रम में जोड़ी गयी है. ताकि देश को बुद्धिमान और वीर व्यक्तित्व मिल सके. साथ ही दिनों दिन प्रसव क्रिया जटिल होती जा रही है. जबकि यह नैसर्गिक क्रिया है. इसमे बाहरी तंत्र विज्ञान या शल्य विज्ञान की कोई जरुरत नहीं है. इस दिशा में पंचगव्य गुरुकुलम को काफी सफलता मिली है. अतः इसे पाठ्यक्रम में जोड़ने की तैयारी चल रही है.
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