महात्मा गांधी ने अंगरेजों से लड़ते हुए स्पष्ट कहा और किया – जब दुश्मन शक्ति में भारी पड़े तो उसे जीतने के लिए उसकी आमदनी की स्पलाई लाईन काट डलो। अर्थात् उसके द्वारा बाजार में ऊतारी गई वस्तुओं का वहिष्कार कर दो। उसकी आमदनी की स्पलाई लाईन कट जाएगी। इसी योजना के अंतर्गत उन्होंने अंगरेजी कपड़ों की होलियां जलवाई। भारत के चौराहों पर बिलायती (ब्रिटेन और मैनचेस्टर) की बनी कपड़े जला दी गई थी। ऐसा कर पाना संभव हुआ था इसके दो कारण थे। १) उन दिनों तक भारत के लोगों में राष्ट्र के प्रति अगाद प्रेम था। २) वहिष्कार करने वाले नेताओं में दम था। वे स्वयं अपने आचरण में लाते और फिर उसका विरोध करते थे, उनकी करनी और कथनी में कोई भेद नहीं था। महात्मा गांधी पहले स्वयं संपूर्ण स्वदेशी हुए फिर लोगों को कहा तो लोगों पर फर्वâ पड़ा।
आज भी यदि कोई ऐसा स्वदेशी नेता जो स्वयं और राष्ट्र के प्रति ईमानदार हो वह चीन की हेंकड़ी को ठीक कर सकता है। चीन को याद दिलाया जा सकता है कि भारत की रक्षा को ताक पर रखकर पाकिस्तान को साथ देने का क्या अंजाम हो सकता है ? प्रश्न है कि अब ऐसे नेता कहाँ हैं ? ऐसे में क्या करे भारत की जनता ? इस प्रश्न का सरल हल है – यह कार्य बिना किसी नेतृत्व के भी हो सकता है। भारत की जनता स्वयं चीनी सामानों का बायकाट कर सकती है। माँ लक्ष्मी के सामने चीनी वस्तुओं की होलियां जला सकती है। एक बार भारत की जनता इतना कर के तो देखे ! चीन के घरों में एक वक्त चुल्हा नहीं जलेगा।
दीपावली सामने है। चीन हमें दीपावली की मिठाईयां से लेकर लक्ष्मीजी की मूर्तियां तक बेचने की तैयारी में है। दीपावली पर जलने वाली सप्तरंगी लाईटें ट्रक के ट्रक भारत के बाजारों में ऊतारी जा रही है। चालीस रुपये की वस्तु पर चार रुपये की एम.आर.पी. लगाकर कर आयात हो रही है और हजारो करोड़ की कर चोरी की जा रही है।
भारत के बाजार में अबकी दीपावली में मैंने तो ठान लिया है कि अपने गांव के कुम्हार के हाथों की मिट्टी से बनी लक्ष्मीजी और घर की बनी मिठाईयों से ही दीपावली मनाऊंगा। दीपावली में मिठाईयों के लिए अभी से ही कोल्डस्टोरज में नकली दूध का छेना और खोआ भरा जा रहा है। यहां तक कि मिठाईयां बनाकर रखी जा रही है। अत: हम बासी मिठाई और चीन की लक्ष्मीजी से कतई दीपावली नहीं मनाएंगे। भले ही हमारे घर, बिजली के दीप से नहीं जगमगाए, मिट्टी के दीए में एरंड का तेल ही जले लेकिन चीन की लाईटें नहीं जलेगी। भारत की लक्ष्मीजी चीन नहीं जाएंगी।
भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव के बाद भारतवासी सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप के माध्यम से चीनी सामान का बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी और फिर से हिन्दी – चीनी भाई – भाई के नारे वाले लोग भी हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने चीन से अपना व्यापार बना रखा है अथवा वहां कारखाने लगा रखे हैं। ऐसे लोग ऊंगली पर गिनती होने की संख्या में हैं। परन्तु वे हावी हैं क्योंकि अबकी दीपावली में उनके व्यापार पर चन्द्र ग्रहण लगने वाला है। अत: उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों को लगा रखा है कि लोग उनके व्यापार की दीपावली का वाकआऊट न कर दें।
याद करने लायक है कि पिछले सप्ताह ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी घोषित करवाने की भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगा दिया था। उससे पहले चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी की तिब्बत से भारत होकर आने वाली एक सहायक नदी की धारा को रुकवा दिया था। चीन के साथ व्यापार करने वाले लोगों की भावनाएं चाहे जो हों पर भारत राष्ट्र का हित सर्वोपरि है और यह सही समय है चीन को अक्कल सिखलाने की। तो ; उठे भारत ! और चीन की होली जला डाले, गली – गली, चौराहे – चौराहे।
चीन इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के माध्यम से हम पर धौंस जमाता है तो इस सच को भी जान लेनी चाहिए कि हम भारतीयों के पास जो इलेक्ट्रानिक्य वस्तु है उससे चीन राज करता है। कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं। इंटरनेशनल डाटा कारपोरेशन की वर्ष २०१६ की दूसरी तिमाही (अप्रैल-मई-जून) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल २.७५ करोड़ स्मार्टफोनों की बिक्री हुई है। बिक्री के आधार पर दूसरी तिमाही में चीनी कंपनी लेनोवो बाजार में सैमसंग (दक्षिण कोरियाई कंपनी) और माइक्रोमैक्स (भारतीय कंपनी) के बाद तीसरे नंबर पर रही। इस दौरान कुल बिके स्मार्टफोनों में ७.७ प्रतिशत लेनोवो-मोटोरोला के थे। मोटोरोला को लेनोवो ने २०१४ में खरीद लिया था। इस साल की दूसरी तिमाही में लेनोवो के अलावा तीन अन्य चीनी वेंडरों ने १० लाख से अधिक स्मार्टफोन भारत में बेचे।
इस तरह केवल चार चीनी कंपनियों ने मिलकर साल की दूसरी तिमाही में ५० लाख से अधिक स्मार्टफोन बेचे हैं। इससे चीन को कितनी आमदनी हुई होगी ? फिर भी वह पाकिस्तान के पक्ष में बोलता रहा है। हथियार स्पलाई करता है। चीन में रोटी पके हमसे और पीठ थपथपाए पाकिस्तान की। यह सब इसीलिए हो रहा है कि हम अपने राष्ट्र के प्रति सचेत नहीं हैं। तुक्ष्य निजी स्वार्थों के लिए राष्ट्र की मर्यादा को भेंट चढ़ा देते हैं। चीनी वस्तुओं को केवल इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि वह सस्ती है और सभी स्थानों पर सहज उपलब्ध है।
कुछ सुखद समाचार भी हैं – एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में २२ करोड़ से अधिक स्मार्टफोन यूज़र हैं और भारत का स्मार्टफ़ोन बाजार दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो २०१८ तक भारत स्मार्टफोन की संख्या के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया में दूसरे नंबर पर आ जाएगा। अभी सबसे आगे चीन है लेकिन वहां का बाजार अब सुस्त पड़ता जा रहा है। भारत का स्मार्टफोन उपभोक्ता बाजार चीन से कई गुना तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन मुश्किल ये है कि भारत स्मार्टफ़ोन उत्पादक बनने की तरफ नहीं बढ़ रहा है।
अत: भारत स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप आदि इलेक्ट्रानिक्स सामानों को तैयार करने वाली देशी वंâपनियों को प्रोत्साहित करे। भारतीय स्वदेशी वस्तुओं पर कर (टैक्स) कम करे। उन्हें उच्च कोटी के उत्पादन के लिए व्यवस्था खड़ी कर के दे। काश ! हमारी सरकारें ऐसा कर पाती ?
सवाल यही है कि क्या हम भारत राष्ट्र की मर्यादा के लिए इस दीपावली में चीन की वस्तुओं की होली जलाकर चीन को आऊट कर पाएंगे ?