भारत में किसे नहीं पता है कि शराब पीने और पिलाने के कारण कई लाख परिवार गरीबी रेखा से नीचे होते जा रहे हैं। शराब के कारण उनकी आर्थिक ताकत प्रतिदिन ५० रुपये खर्च करने इतना भी नहीं रह गया है। मनरेगा में १७५ रुपये प्रतिदिन मिलते हैं, १२० से १४० रुयपे विदेशी शराब में जाती है। शेष ३५-४० रुपये में वैâसे परिवार पले ? घर की महिलाएं परेशान हैं। उन्हें पति के अलावा बच्चों का भी ख्याल रखना पड़ता है। उनकी पढ़ाई पर भी खर्च होते हैं। वैâसे घर चलाएं ?
यह जग जाहिर है फिर भी केन्द्र की सरकार और न्यायालय के न्याय से लगता है कि केवल उन्हें नहीं पता कि शराब ने किस प्रकार भारत के करोड़ो परिवारों को उजाड़ रखा है ? ऐसी करतूतों के कारण ही फिल्म बनी थी ‘‘अंधा कानून’’। कानून की आंखों पर काली पट्टी के दोनों अर्थ निकाले गए। १) कानून के पास केवल न्याय है, वह बिना भेद – भाव के न्याय देती है। और २) अर्थ यह भी निकाला जाता है कि न्याय की आंखों पर काली पट्टी बंधी है – वह सत्य को कहां देख पाती है। कानून के पैरवीकार जैसा सूझाव दें, उसे ही न्याय कहा जाता है। सच ; कानून की मूर्ति नहीं देख पा रही हैं कि शराब के कारण भारत किस प्रकार बरबाद हो रहा है।
ऐसे में कलियुग में किसी भी सरकार द्वारा शराबबंदी किया जाना कितना सुखद है। इसे तो केन्द्र की सरकार और न्यायालय को हथेली पर रखकर शराबबंदी वाले राज्य को विशेष पैकेज देना चाहिए था। पर बिहार में हो उल्टा ही रहा है। बिहार के दोनों सदनों में जिस दिन यह विधेयक (संपूर्ण शराबबंदी) पारित हुआ उस दिन सारे विधान सभा सदस्यों ने खड़ा होकर यह सामूहिक संकल्प किया कि न तो वे शराब पिएंगे और न ही दूसरों को पीने देंगे। इस विधेयक को बाद में राज्यपाल की सहमति भी मिल गयी। उसे २ अक्टूबर से लागू भी कर दिया गया। पर अब मुख्य प्रतिपक्षी पार्टी यह कह रही है कि यह तालिबानी कानून है। इसके प्रावधान बहुत कड़े हैं। हाय रे ! विपक्षी ; ईश्वर तुम्हें सुबुद्धि दे।
बिहारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जो लोग इसे तालिबानी कानून करार दे रहे हैं, वे कुछ ऐसे सुझाव दें ताकि इसमें संशोधन करके इसे ‘गैर तालिबानी’ बनाया जा सके। इससे पहले राज्य सरकार ने शराबबंदी से संबंधित एक अधिसूचना जारी की थी। उसे अदालत में चुनौती दी गई थी। पटना हाईकोर्ट ने गत ३० सितम्बर को उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था। अदालत का तर्क था कि यह अधिसूचना संविधान के अनुकूल नहीं है।
बिहार सरकार ने एक तरफ हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया तो दूसरी ओर उसने नए नशाबंदी कानून एक बार फिर लागू कर दिए। नए कानून को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नशाबंदी को लेकर गत साल दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था। वह फैसला केरल सरकार के पक्ष में था। केरल सरकार ने राज्य में आंशिक नशाबंदी लागू की तो बार मालिकों ने उसे अदालत में चुनौती दे दी। पहले हाईकोर्ट ने बार मालिकों की याचिका ठुकराई और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने।
नीतीश कुमार ने कहा है कि नशाबंदी से बिहार में सामाजिक परिवर्तन का माहौल तैयार हो रहा है। नशाबंदी के पूरी तरह लागू हो जाने के बाद अन्य राज्यों में भी ऐसी मांग उठेगी। बिहार सरकार इसे लागू करने में जी-जान से जुट गई है। बिहार के गांवों में बड़े पैमाने पर देसी शराब की भट्ठियां खुल गई थीं। अधिक शराब पीकर बड़ी संख्या में नौजवान कम ही उम्र में मर रहे थे।
उधर, लोगों के हाथ में थोड़े पैसे आने के कारण अंग्रेजी शराब का कारोबार भी राज्य में काफी बढ़ा था। अनेक शराब व्यापारी विधायिका के सदस्य बन गए थे। उधर, परिवार बर्बाद होने लगा था। शराबी पति और बेटों के कारण महिलाएं दुखी होने थी। कुछ दशक पहले तक गांवों में बड़े बुजुर्ग का एक अघोषित अनुशासन चलता था। बुजुर्ग नौजवानों को गलत रास्ते पर जाने से रोकते थे। कई कारणों से अब वह अनुपस्थित है। अब युवाओं पर लगाम नहीं है।
राष्ट्र के शुभचिंतक मानते हैं कि नशाबंदी से सरकारी खजाने में ५ हजार करोड़ रुपये का कम आएंगे। लेकिन शराबसेवियों के करीब १० हजार करोड़ रुपये हर साल बच जाएंगे। साथ ही नशा करके सड़कों पर हंगामा करनेवाले अब नजर नहीं आते हैं। महिलाएं पहले से अधिक खुश हैं। बारातों और मूर्ति विसर्जन जुलूसों में घंटों हंगामा करने वाले नशाखोर अब नजर नहीं आते हैं।
सामान्य जन ने बिहार सरकार के इस कदम को सराहा है। भारत के संविधान के नीति-निर्देशक तत्व वाले अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य मादक पेयों और स्वास्य के लिए हानिकारक औषधियों के उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।’ संभवत: इसी संदर्भ में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य बातों के अलावा यह भी कहा है कि ‘नशा करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है।’
दो अक्टूबर से लागू नए कानून के अनुसार नशाबंदी कानून के उलंघनकर्ता के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है। या फिर एक से दस लाख रुपये तक के जुर्माने की व्यवस्था की गई है। अपराध गैर जमानती है। किसी घर में शराब मिली तो सभी बालिग सदस्य पकड़े जाएंगे। जय हो बिहारी मुख्यमंत्री की।