"यथा राजा तथा प्रजा" "धार्यति इति धर्म:", “काम” को समझें गव्यसिद्ध डॉ विशाल गुप्ता महर्षि वाग्भट्ट के सूत्र की जिस कार्य को करने से धर्म, अर्थ और काम की पूर्ति हो, मनुष्य को उस मार्ग पर चलकर मोक्ष रूपी अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए यही मानव जीवन का विकास है और जिस कार्य से इनमें से किसी एक कि भी हानि हो उसे कदापि नहीं करना चाहिए। पिछली कड़ी में धर्म को समझने का प्रयास करते हुए आज अर्थ और काम को समझते हुए इस कड़ी को आगे बढ़ाते हैं। कलयुग में अर्थ अर्थात पैसा ही सब कुछ है। किंतु अर्थ सिर्फ पैसा...
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